“Jab saath ho, toh har mushkil aasan ho jati hai.”

जमीन की डीड कैसे कैंसिल करें? पूरी प्रक्रिया स्टेप बाय स्टेप

जमीन की डीड कैसे कैंसिल करें?
अगर आपकी जमीन की डीड (सेल डीड या रजिस्टर्ड बैनामा) में कोई समस्या है, जैसे धोखाधड़ी, जबरदस्ती या आपसी सहमति न होना, तो इसे कैंसिल करवाना संभव है। लेकिन याद रखें, भारत में रजिस्टर्ड डीड को कैंसिल करना आसान नहीं है। यह कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें कोर्ट या रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका होती है। गलत कदम उठाने से कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं। इसलिए, हमेशा वकील से सलाह लें।

यह आर्टिकल जमीन की डीड कैंसिल करने के तरीके, कारण, स्टेप्स और जरूरी दस्तावेजों पर फोकस करता है। अगर आप प्रॉपर्टी डील में हैं, तो यह गाइड आपके लिए उपयोगी साबित होगी। चलिए, डिटेल में समझते हैं।

मीन की डीड क्या होती है?

जमीन की डीड एक कानूनी दस्तावेज है जो संपत्ति के मालिकाना हक को एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर करता है। यह ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 और इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत रजिस्टर्ड होती है। एक बार रजिस्टर्ड होने के बाद, इसे कैंसिल करना मुश्किल होता है क्योंकि यह सार्वजनिक रिकॉर्ड बन जाता है। जमीन की डीड कैंसिल करने के मुख्य कारणडीड कैंसिल करने के लिए वैध वजह होनी चाहिए। कुछ सामान्य कारण:

  • धोखाधड़ी (Fraud): अगर विक्रेता ने झूठे दस्तावेज या जानकारी दी हो।
  • जबरदस्ती या गलत प्रभाव (Coercion/Undue Influence): साइन करने के लिए दबाव डाला गया हो।
  • गलत बयानी (Misrepresentation): संपत्ति के बारे में गलत फैक्ट्स बताए गए हों।
  • असहमति या अनुबंध उल्लंघन (Breach of Contract): पेमेंट न करना या पजेशन न देना।
  • आपसी सहमति (Mutual Consent): दोनों पार्टियां (खरीदार और विक्रेता) सहमत हों।

नोट: अगर डीड फर्जी है, तो तुरंत शिकायत करें। अन्यथा, 3 साल की लिमिटेशन पीरियड (Limitation Act, 1963) के अंदर कोर्ट जाना

पड़ता है। जमीन की डीड कैंसिल करने की प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप गाइडप्रक्रिया दो मुख्य तरीकों से होती है – आपसी सहमति से या कोर्ट के जरिए। रजिस्ट्रार ऑफिस अकेला डीड कैंसिल नहीं कर सकता।  1. आपसी सहमति से कैंसिलेशन (Mutual Consent)अगर दोनों पक्ष सहमत हैं, तो यह आसान तरीका है:

  • स्टेप 1: दोनों पक्ष एक कैंसिलेशन डीड तैयार करें। इसमें मूल डीड का रेफरेंस, कैंसिलेशन का कारण और दोनों के साइन हों।
  • स्टेप 2: लोकल सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर इसे रजिस्टर करवाएं। स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस दें (राज्य के अनुसार ₹500-₹5,000 तक)।
  • स्टेप 3: रजिस्ट्रेशन के बाद, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स (जैसे खाता-खसरा) अपडेट करवाएं। तहसील ऑफिस में म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) एप्लीकेशन दें।
  • समय: 7-15 दिन लग सकते हैं।

 

2. कोर्ट के जरिए कैंसिलेशन (Court Proceedings)अगर सहमति न हो, तो स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 की धारा 31 के तहत सिविल कोर्ट जाएं:

  • स्टेप 1: वकील से सलाह लें और कैंसिलेशन सूट फाइल करें। सिविल कोर्ट (जिला स्तर) में केस दायर करें।
  • स्टेप 2: जरूरी दस्तावेज जमा करें (नीचे देखें)। कोर्ट नोटिस जारी करेगा और सुनवाई होगी।
  • स्टेप 3: अगर कोर्ट फैसला देता है, तो डीड कैंसिल हो जाएगी। कोर्ट का डिक्री रजिस्ट्रार को भेजा जाएगा।
  • स्टेप 4: अपील का ऑप्शन होता है, लेकिन 3 साल के अंदर फाइल करें।
  • समय और खर्च: 1-3 साल लग सकते हैं। कोर्ट फीस ₹100-₹1,000 + वकील फीस (₹10,000-₹50,000)।

टिप: फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत के लिए सब-रजिस्ट्रार या पुलिस स्टेशन जाएं।

जरूरी दस्तावेज

दस्तावेज का नाम
विवरण
मूल सेल डीड की कॉपी
रजिस्टर्ड डीड का प्रमाण।
पहचान प्रमाण (Aadhaar, PAN)
दोनों पक्षों के।
प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स
खाता-खसरा, एनओसी, टाइटल डीड।
कैंसिलेशन का कारण साबित करने वाले सबूत
फ्रॉड केस में पुलिस रिपोर्ट या वॉयस रिकॉर्डिंग।
NOC (अगर लागू)
बैंक या अन्य एंटिटी से, अगर लोन हो।
कोर्ट फीस स्टैंप
सूट फाइलिंग के लिए।

कानूनी सलाह और सावधानियां

  • वकील जरूरी: खुद न करें, लोकल प्रॉपर्टी लॉयर से मिलें।
  • राज्य-विशेष नियम: हर राज्य (जैसे UP, Bihar) में थोड़े बदलाव हो सकते हैं। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में भूलेख पोर्टल से चेक करें।
  • जोखिम: कैंसिल न होने पर मुआवजा देना पड़ सकता है (इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872)।
  • रोकथाम: डील से पहले प्रॉपर्टी वेरिफाई करें – भूलेख ऐप या तहसील से।

अगर आपकी डीड हाल ही में हुई है, तो तुरंत एक्शन लें। अधिक जानकारी के लिए कमेंट करें या वकील से संपर्क करें। यह आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, कानूनी सलाह नहीं। सुरक्षित रहें! 

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