भारत के कानून में FIR (First Information Report) दर्ज कराना हर नागरिक का हक है। अगर आपके साथ कोई अपराध हुआ है और आप थाने जाकर शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं, तो पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह FIR लिखे। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि कई बार पुलिस FIR दर्ज करने से बचती है। ऐसे में सवाल उठता है – अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करे तो क्या करें? और पुलिस की शिकायत कहाँ करें? आइए विस्तार से समझते हैं।
FIR दर्ज न होने पर क्या करें?
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थाने के उच्च अधिकारी से संपर्क करें
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अगर SHO (थानेदार) FIR दर्ज नहीं कर रहा है, तो आप DSP, SP या DIG के पास लिखित शिकायत कर सकते हैं।
- एसएसपी, एसपी, डीएसपी का नंबर आपको जिले की अधिकारीक वेबसाइट पर मिल जाएगा। वहां से काल करके शिकायत करें।
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उच्च अधिकारी आपके आवेदन पर संज्ञान लेकर संबंधित थाना प्रभारी को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकते हैं।
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धारा 154(3) CrPC के तहत शिकायत
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भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154(3) के तहत आप सीधे जिला पुलिस अधीक्षक (SP) को लिखित शिकायत दे सकते हैं।
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SP के पास यह अधिकार है कि वह खुद जांच कराएं या संबंधित पुलिस थाने को FIR दर्ज करने का आदेश दें।
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मजिस्ट्रेट के पास जाएं (धारा 156(3) CrPC)
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अगर पुलिस फिर भी FIR दर्ज नहीं करती, तो आप न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास आवेदन देकर FIR दर्ज कराने और जांच करवाने का आदेश दिला सकते हैं।
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मजिस्ट्रेट आदेश जारी करते ही पुलिस FIR दर्ज करने को बाध्य होगी।
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ऑनलाइन FIR दर्ज करें
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कई राज्यों की पुलिस वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर ऑनलाइन FIR दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है।
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अगर थाने में परेशानी हो रही है तो आप घर बैठे भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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पुलिस की शिकायत कहाँ करें?
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जिला पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय
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राज्य पुलिस महानिरीक्षक (IG) या डीजीपी (DGP) कार्यालय
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राज्य मानवाधिकार आयोग
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
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लोकायुक्त या विजिलेंस विभाग
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पुलिस शिकायत प्राधिकरण (Police Complaint Authority)
उपयोगी टिप्स
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FIR दर्ज कराने के लिए हमेशा लिखित आवेदन और उसकी रसीद रखें।
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कोशिश करें कि आवेदन की एक कॉपी ईमेल या डाक से SP/DGP को भी भेज दें।
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अगर मामला गंभीर है तो न्यायालय का सहारा लेने से न हिचकें।
अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है तो घबराने की जरूरत नहीं है। भारतीय कानून नागरिकों को कई विकल्प देता है – जैसे कि उच्च अधिकारी को शिकायत, मजिस्ट्रेट का दरवाज़ा खटखटाना, ऑनलाइन FIR, या मानवाधिकार आयोग तक पहुँचना। याद रखें, FIR दर्ज कराना आपका संवैधानिक अधिकार है और पुलिस इसे रोक नहीं सकती।
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